मेरी चाय की चुस्की में वो गर्माहट है….।
जैसे मेरे लबों की तेरे लबों पर आहट है।।
हर घूंट में बस तेरा नाम लिए जा रहे हैं…….।
हो जाए ना खत्म इसलिए धीरे-धीरे पिए जा रहे हैं।।
उस चाय में तेरी मोहब्बत साथ होती है……।
इसलिए तो सुबह की चाय मेरे लिए खास होती है।।
हर दिन आंख खुलते हैं उस चाय का इंतजार होता है…..।
क्या बताऊं उसे पास देखने को दिल कितना बेकरार होता है।।
जैसे ही हो जाती है मेरी चाय वो खत्म………।
दिल होता खुश अगली सुबह फिर तेरे पास होंगे हम।।
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