फूलों की वादियों मे़ मेरा भी बसेरा था,
कुछ पल के लिए ही कोई तो मेरा था !
हर सुबह इंतजार में खुलती थी आँखें,
वो भी क्या खूबसूरत सवेरा था!
वो बरसात हमें मिलने न देती थी,
ना जाने क्यों घटाअो ने हमे घेरा था!
भूल ना पाई आज भी उस एहसास को,
जब जूल्फों पे मेरे हाथ तुमने फेरा था!
न जाने क्यों तुम छोड़ गए मुझे तन्हा,
ये सॉसे ये धड़कन सब कुछ तो तेरा था !
Nice 1…