ज़िंदगी हमें
जाने कहाँ ले जाती है,
जाने कहाँ ले जाती है,
न पहुँच पाती
जहाँ सोच हमारी..
जहाँ सोच हमारी..
हमें वो वहाँ ले
जाती है…..
जाती है…..
थाम कर हम हाथ
उसका,
उसका,
चले जाते है उसके
साथ में,
साथ में,
हमें वो जहाँ ले
जाती है,
जाती है,
जागते रहे रात भर
ये सोचते हुए,
ये सोचते हुए,
ज़िंदगी हमें
जाने कहाँ ले जाती है!!
जाने कहाँ ले जाती है!!
कभी तन्हाई के घर
बैठा जाती है…
बैठा जाती है…
तो कभी शहनाई की
गली दिखा जाती है,
गली दिखा जाती है,
समझ नही पाते हम
जिन रास्तों को,
जिन रास्तों को,
हमें वो वहाँ ले
जाती है….
जाती है….
चले जाते है हम
साथ उसके,
साथ उसके,
हमें वो जहाँ ले
जाती है,
जाती है,
जागते रहे रातभर
ये सोचते हुए…
ये सोचते हुए…
ज़िंदगी हमें
जाने कहाँ ले जाती है!!
जाने कहाँ ले जाती है!!
कभी ऊँचाईयों पर ले जा….
हमें वो आसमां
दिखाती है,
दिखाती है,
तो कभी खुद को
समझने के लिए,
समझने के लिए,
जमीं पर वो
गिराती है,
गिराती है,
सुलझा सके हम
जिन्हें…
जिन्हें…
ऐसी पहेली के
सागर में ले जाती है,
सागर में ले जाती है,
जागते रहे रातभर
ये सोचते हुए…
ये सोचते हुए…
जिंदगी हमें जाने
कहाँ ले जाती है!!
कहाँ ले जाती है!!
– तन्वी सिंह