हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
साँसे थी वो उसकी..या
सिगार का वो धुआँ था!
हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
घर था वो सितारो का,
या गहरा कोई कुआँ था!
हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
नकाब था वो उसका या,
सर्द मौसम का कुहा था!
हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
पलकें थी वो उसकी या,
मुलायम कोई रूआ था!
हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
हकीकत थी वो ‘तन्वी’ या,
ख्वाबों का कोई जुआ था!
उसकी उंगलियों की चुभन मुझे थाम रही थी,,,
न जाने कितने दिन बाद इस चुभन ने मेरी सांसो को बढ़ाया,,,
दर्द की आहें भरती चाह ने ठहर जाने का लालच दिया मुझे,,,
बस उसके छूने का बस आदी सा हो गया हूँ अब,,,
न जाने इस चुभन का दर्द कब वरसात के संग आएगा,,,
तुम अभी यहीं ठहर जाओ न अपनी उंगलियों का अहसास का सफर बाकी जो है,,,✍✍����
,✍✍✍�� संदीप ��✍✍✍
बेहतरीन
Achhi hai lines !
Shukriya…aapka !